मुख्यमंत्री ने हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के कार्यां की समीक्षा की
मुख्यमंत्री ने प्रदेश के हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग क्षेत्र में निजी निवेशकों की बढ़ती रुचि
को देखते हुए विभिन्न जिलों में वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया
प्रस्तावित योजना को महान संत कबीर के नाम पर समर्पित किया जाएगा, संत कबीर
वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना न केवल निवेश और रोजगार के नए द्वार खोलेगी, बल्कि प्रदेश
को वैश्विक वस्त्र एवं परिधान मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान भी दिलाएगी : मुख्यमंत्री
उ0प्र0 देश के शीर्ष वस्त्र एवं परिधान निर्यातक राज्यों में शामिल,
वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात
हुआ, राज्य में प्रत्यक्ष रोजगार पाने वाले लगभग 22 लाख लोग इस क्षेत्र से जुड़े
मुख्यमंत्री ने पावरलूम बुनकरों की उत्पादन लागत कम करने, आय बढ़ाने और परम्परागत
वस्त्र उद्योग को नई मजबूती देने के उद्देश्य से बुनकरों के साथ संवाद करने के निर्देश दिए
बुनकर, परिश्रम और परम्परा के प्रतीक, उनके हाथों से बना कपड़ा पूरे विश्व में पहचान रखता
लखनऊ : 16 सितम्बर, 2025
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग के कार्यां की समीक्षा की। बैठक के दौरान मुख्यमंत्री जी ने प्रदेश के हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग क्षेत्र में निजी निवेशकों की बढ़ती रुचि को देखते हुए विभिन्न जिलों में वस्त्र एवं परिधान पार्क स्थापित करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उत्तर प्रदेश पारम्परिक हथकरघा और वस्त्र उत्पादों की समृद्ध धरोहर वाला राज्य है, जिसकी क्षमता का सही उपयोग होने पर प्रदेश को राष्ट्रीय ही नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी नई पहचान दिलाई जा सकती है। वर्तमान में वस्त्र एवं परिधान का वैश्विक बाजार वर्ष 2030 तक 2.3 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है। भारत इस क्षेत्र में 08 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर के साथ सबसे तेज़ी से बढ़ते देशों में है। ऐसे परिदृश्य में उत्तर प्रदेश की भागीदारी इस क्षेत्र में निर्णायक सिद्ध हो सकती है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रस्तावित योजना को महान संत कबीर के नाम पर समर्पित किया जाएगा। संत कबीर ने अपने जीवन दर्शन में श्रम, सादगी और आत्मनिर्भरता को सर्वोपरि माना और यही भाव इस योजना का आधार बनेगा। इस योजना के माध्यम से निवेश, उत्पादन और रोजगार के नए अवसरों के साथ-साथ परम्परा और आधुनिकता का संतुलन स्थापित होगा।
बैठक में मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश देश के शीर्ष वस्त्र एवं परिधान निर्यातक राज्यों में शामिल है। वित्त वर्ष 2023-24 में प्रदेश से लगभग 3.5 अरब अमेरिकी डॉलर का निर्यात हुआ, जो देश के कुल वस्त्र एवं परिधान निर्यात का लगभग 9.6 प्रतिशत है। प्रदेश की जी0डी0पी0 में इस क्षेत्र का योगदान 1.5 प्रतिशत है। राज्य में प्रत्यक्ष रोजगार पाने वाले लगभग 22 लाख लोग इस क्षेत्र से जुड़े हैं। जनपद वाराणसी, मऊ, भदोही, मीरजापुर, सीतापुर, बाराबंकी, गोरखपुर और मेरठ जैसे पारम्परिक क्लस्टरों ने प्रदेश को राष्ट्रीय परिधान मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान दिलाया है।
मुख्यमंत्री जी को अवगत कराया गया कि निवेश सारथी पोर्टल पर अब तक वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र से जुड़े 659 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों के लिए लगभग 1,642 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। कुल निवेश मूल्य 15,431 करोड़ रुपये आंका गया है। इसके फलस्वरूप लगभग 1,01,768 रोजगार अवसर सृजित होने का अनुमान है। प्रत्येक पार्क न्यूनतम 50 एकड़ भूमि पर विकसित किया जाएगा और इनमें प्रसंस्करण उद्योगों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट की स्थापना अनिवार्य होगी। साथ ही बटन, ज़िपर, लेबल, पैकेजिंग और वेयरहाउस जैसी सहायक इकाइयों के विकास की भी व्यवस्था की जाएगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि निवेश प्रस्तावों को शीघ्र गति से क्रियान्वित करने हेतु भूमि की पहचान और अन्य विकास कार्यों को तेजी के साथ आगे बढ़ाया जाए। योजना का क्रियान्वयन सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पी0पी0पी0) मॉडल अथवा नोडल एजेंसी के माध्यम से किया जाएगा, ताकि निवेशकों को समयबद्ध और सुगम सुविधाएं प्राप्त हों। सरकार की ओर से पार्कों तक सड़क, विद्युत और जलापूर्ति जैसी आधारभूत सुविधाएं प्राथमिकता पर उपलब्ध कराई जाएंगी। मुख्यमंत्री जी ने विशेष रूप से युवाओं के लिए कौशल विकास और रोजगार सृजन को इस योजना का मुख्य लक्ष्य बताया। उन्होंने कहा कि संत कबीर वस्त्र एवं परिधान पार्क योजना न केवल निवेश और रोजगार के नए द्वार खोलेगी, बल्कि प्रदेश को वैश्विक वस्त्र एवं परिधान मानचित्र पर एक विशिष्ट पहचान भी दिलाएगी।
बैठक में एक अन्य महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए मुख्यमंत्री जी ने पावरलूम बुनकरों की उत्पादन लागत कम करने, आय बढ़ाने और परम्परागत वस्त्र उद्योग को नई मजबूती देने के उद्देश्य से बुनकरों के साथ संवाद करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि बुनकर, परिश्रम और परम्परा के प्रतीक हैं। उनके हाथों से बना कपड़ा पूरे विश्व में पहचान रखता है। सरकार बुनकरों की मेहनत का सम्मान करते हुए उन्हें सस्ती बिजली उपलब्ध करा रही है। बुनकरों से संवाद बनाकर उनकी अपेक्षाओं को जानने और समझने की आवश्यकता है। इस सम्बन्ध में जनप्रतिनिधियों के सहयोग से विभाग द्वारा प्रक्रिया प्रारम्भ की जाए। मुख्यमंत्री जी ने पावरलूम को सौर ऊर्जा से जोड़ने के लिए आवश्यक कार्यवाही के भी निर्देश दिए।
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