अजनबी होता शहर देखा
हर इंसान को यहाँ
मैंने ख़ुद से ही बेखबर देखा !
रोते हुए नयन देखे
मुस्कराता हुआ अधर देखा
गैरों के हाथों में मरहम
अपनों के हाथों में खंजर देखा !
मत पूंछ इस जिंदगी में ,
इन आँखों ने क्या मंजर देखा
मैंने हर इंसान को यहाँ
बस ख़ुद से ही बेखबर देखा !!
( संकलित )
—— राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !