1—— गुनाह छिपा नहीं रहता ! वह मनुष्य के
मुख पर लिखा रहता है !
—– सन्त वाणी
2——– बुखार से ज्यादा एक खराब विचार शरीर
को नुकसान पंहुचाता है !
———- गाय दी मोपासाँ
3——— पुरुष प्रेम सतत करता है , पर ,
थोड़ा— थोड़ा ! नारी प्रेम बहुत करती है , सच है ,
लेकिन, कभी— कभी !
———- रामधारी सिंह दिनकर
4———- दुःख हमें उदास करने या अपराध
बोध महसूस कराने नहीं आता , सचेत करने और
बुद्धिमान बनाने आता है !
——- एच. जी. वेल्स
5—— जानते हो मेरे पास कुछ संदेशे हैं ,
जिनका इंतजार किसी को भी नहीं !
——— अमृता प्रीतम
( संकलित )
———- राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !