जब उसको संसार रुलाता,
वह समीप अपनों के जाता ,
पर वे भी जब ठुकरा देते,
वह निज मन के सम्मुख आता ,
पर उसकी दुर्बलता पर , जब मन भी उसका
मुस्काता है !
तब मानव कवि बन जाता है !
———— प्रसिद्ध कवि गोपालदास ” नीरज ”
( संकलित )
———– राम कुमार दीक्षित , पत्रकार !