” मानव कवि बन जाता है “

तब  मानव  कवि  बन  जाता  है  !

जब  उसको  संसार   रुलाता,

वह  समीप  अपनों  के  जाता  ,

पर  वे  भी  जब  ठुकरा   देते,

वह  निज  मन  के  सम्मुख   आता  ,

पर  उसकी  दुर्बलता  पर  , जब  मन  भी  उसका

मुस्काता  है   !

तब   मानव  कवि  बन  जाता  है   !

———— प्रसिद्ध कवि  गोपालदास  ” नीरज  ”

( संकलित  )

———– राम  कुमार  दीक्षित  ,  पत्रकार   !

 

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