” अब अन्तर में अवसाद नहीं “

अब अन्तर में अवसाद नहीं चापल्य नहीं उन्माद नहीं सूना — सूना सा जीवन है कुछ शोक नहीं आल्हाद नहीं तव स्वागत हित हिलता रहता…

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